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वाङ्मय-वारिधि आचार्य विद्यानन्द २६५
उपाध्याय यशोविजय जी आदि प्रमुख है।
आचार्य विद्यानन्द का कार्य क्षेत्र गगवश था । उन्होने अपनी नथ रचना गगनरेश शिवमार द्वितीय एव राजमल्ल सत्यवाक्य प्रथम के समय मे की थी। ___ शक संवत् १३२० के उत्कीर्ण एक शिलालेख मे नदी सघ के साथ आचार्य विद्यानन्द का नाम है । इस आधार से आचार्य विद्यानन्द का नदी सघ मे दीक्षित होना सभव है।
आचार्य विद्यानन्द ने अपनी कृतियो मे कही समय का सकेत नहीं दिया है। विविध शोधो के आधार पर आचार्य विद्यानन्द का समय ई० स० ७७५ से २४० तक निर्धारित हुआ है। इस आधार पर आचार्य विद्यानन्द वीर निर्वाण १३०२ से २३६७ (वि० स० ८३२ से ८८७) तक के विद्वान् सिद्ध होते हैं।