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चारित्र-चिन्तामणि आचार्य जिनदास महत्तर २३७.
उक्त प्रमाण के आधार पर चरित्र-चूडामणि चूर्णिकार जिनदास महत्तर का समय वी० नि० की १२वी तथा विक्रम की ८वी शताब्दी का पूर्वार्द्ध निश्चित होता है।
आधार-स्थल
१ सकरजडमउडविभूसणस्स तण्णामसरिसणामस्स । तस्स सुतेणेस कता विसेसचुण्णी णिसीहस्स ॥१३॥
(निशीथ विशेष चूणि उद्देशक १३). २ रविकरमभिधाणक्खरसत्तमवगत-अक्खरजुएण। णाम जस्सिथिए सुतेण तिसे कया चुण्णी ॥
(निशीथ विशेष चूणि उद्देशक १५) ३ देहडो सीह थोरा य ततो जेठा सहोयरा।
कणिछा देउलो णण्णो सत्तमो य तिइज्जगो। एतेसि मज्झिमो जो उमदेवी तेण वित्तिता।
(निशीथ विशेष चणि उद्देशक १६) ४ वाणिजकुलसभूतो कोडियगणितो य वज्जसाहीतो।
गोवालियमहतरमओ विक्खातो आसि लोगम्मि ।।१।। ससमय-परसमयविक मओयस्सी देहिम सुगभीरो। सीसगणसपरिवडो वक्खाणरतिप्पियो आसी ।।२।। तेसिं सीसेण इम उत्तरज्झयणाण चुण्णि खड तु । रइय अणुग्गहत्य सीसाण मदबुद्धीण ।।३।।
(उत्तरा चूणि) ५ सविसेसायरजुत काउ पणाम च अत्थदायिस्स । पज्जण्णखमासमणस्स चरण-करणाणुपालस्स ॥२॥
(निशीथ विशेष चूणि पीठिका) ६ गुरुदिण्ण च गणित्त महत्तरत्त च तस्स तुट्टेण । तेण कयेसा चुण्णी विसेसणमा णिसीहस्स ॥२॥
(निशीथ विशेष चूणि) ७ (क) श्री श्वेताम्बराचार्य श्री जिनदासणिमहत्तरपूज्यपादानामनुयोगद्वाराणा चूणि ।
(अनुयोगद्वार चूिण) (ख) णि रे ण ग म त ण ह स दा जि या पसुपतिसखगजट्ठिताकुला। कमट्टिता धीमतचितियक्खरा फुडकहेयतऽभिधाण कत्तुणो ॥१॥
(नन्दी चूणि) ८ शकराज्ञो पञ्चमु वर्षशतेषु व्यक्तिक्रान्तेषु अष्टनवतेषु नन्द्यध्ययनचूणि समाप्ता।
(नन्दी चूणि)