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मोक्ष-वीथि पथिक आचार्य समुद्र, मगू, भद्रगुप्त ११५
पदारोहण काल वी० नि० ४१४ (वि० पू० ५६ ) है । उनका स्वर्गवास वी० नि० ४५४ (वि० पू० १६ ) मे हुआ था । तदनन्तर आचार्य मगू का आचार्य-काल प्रारम्भ होता है ।
आचार्य भद्रगुप्त का काल आचार्य वज्र स्वामी से कुछ पूर्व है । कालक्रम के अनुसार आचार्य समुद्र और मगू आचार्य कालक द्वितीय से पूर्व और आचार्य भद्रगुप्त कालक द्वितीय से वाद के है पर तीनो का जीवन प्रसग एकसाथ सम्बद्ध कर देने के कारण इन्हे श्यामाचार्य और षाडिल्य के पश्चात् प्रस्तुत किया है ।