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________________ पाँचवीं शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के आचार्य गुहनन्दि प्रकलंक नाम के अन्य विद्वान तुम्बुलुराचार्य रविषेणाचार्य वीरदेव शामकुण्डाचार्य चन्द्रनन्दि वावननन्दि मुनि श्रीदत्त, श्रीदत्त इन्द्रगुरु यशोभद्र देवसेन देवनन्दि(पूज्यपाद) बलदेवगुरु प्रार्यमा और नागहस्ति उग्रसेन गुरु मुनि सर्वनन्दि गुणसेन मुनि यतिवृषभ नागसेन गुरु सिद्धन्दि सिंहनन्दि गुरु चितकाचार्य गुणदेवसूरि वज्रनन्दि गुणकीति नागसेन गुरु तेलमोलिदेवर (तोलामोलित्तेरव) स्वामि कुमार चन्द्रनन्दि जोइन्दु(योगीन्द्रेव) जयदेव पंडित पात्रकेशरी विजयकोति अनन्तवीर्य वृद्ध विमलचन्द्राचार्य मानतुंगाचार्य कोतिनन्दि जटासिंहनन्दि विशेषवादि शुभनन्दी-रविनन्दि चन्द्रसेन महाकवि धनंजय प्रार्यनन्दि सुमतिदेव(सन्मति) एलाचार्य सुमतिदेव (द्वितीय) कुमारनन्दि उदयदेव कविपरमेश्वर(कविपरमेष्ठी) सिद्धान्त कोति काणभिक्षु एलवाचार्य चउमुह (चतुर्म ख) चन्द्रनन्दि प्रकलंक देव रविकीति कुमारसेन
SR No.010227
Book TitleJain Dharm ka Prachin Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherRameshchandra Jain Motarwale Delhi
Publication Year
Total Pages591
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size65 MB
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