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पूर्वजन्म और पुनर्जन्म
जन्म और मृत्यु नार्वभौम नियम है । मनार का कोई भी प्राणी पापा नही है। जो जन्मा है वह निश्चित मरता है । हमारे जीवन के दो छोर है एक जाम, दूसरा मृत्यु । इन दोनो के बीच जोवन धारा अमर प्रवाहित है। जीवन, जन्म और मृत्यु ये तीनो हमारे प्रत्यक्ष है। प्रश्नता है - इन तीनों से परे भी पुछ है क्या ? जन्म से पहले क्या भा मन्यु 就 पश्चात् क्या होगा ? ये प्रश्न नादि युग मे लेकर आज तक रहस्यमय बने हुए है ?
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भगरान महावीर ने यहा - 'अनेक व्यक्ति यह नही जानते में कौन से जाए और यहां जाऊंगा ? वैज्ञानिक शोध और प्रयोगो घी पराराष्ठा के एग युग में भी यह प्रश्न उतनी ही तीव्रता से पूछा जा रहा है ।
भगवान महावीर ने
"ननो वो उत्तरित परने ये तीन मायस्य का प्रत्यक्ष अनुभव, शानियो का अनुभव तथा दूमरो पे -श्रवण ।"
और
यद्यपि सभी पूर्वीय को पश्चिमी वस्तित्ववादी दानो ने पूर्वजन्म पुरम वो स्वीकार किया है। फिर भी भारतीय दर्शनो या भूत जाधार प्रत्यक्ष पर जोर पानियो का अनुभव हा है उपा पश्चिमी भिरहा है।
जन-दर्शन और जन्मान्तर का सिद्धान्त