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________________ + दायरे काफी व्यापक बन गये है । इन सस्थान से प्रकाशित होने वाले साहित्य का भी अपना मूल्य है । " जैनधर्म जीवन और जगत्" जैन दर्शन के प्रशिक्षुओं के लिए मदमं प्रथ के रूप में उपयोगी सिद्ध हुआ है, इसका प्रमाण हे पुस्तक यो मांग और लोकप्रियता । यह किसी भी लेखक को सफलता का 'माइन स्टोन' माना जा सकता है। पुस्तक का द्वितीय संस्करण पाठको की माग पूरी करेगा, वही मेरी अगली माहित्य-यात्रा की नयी सभावनाए भी नयी दिपाए उद्घाटित करेंगी । इसका स्रोत है गुरुकृपा का प्रसाद ओर मगनमय आशीर्वाद 1 साध्वी कनकश्री
SR No.010225
Book TitleJain Dharm Jivan aur Jagat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakshreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1997
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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