________________
(६) यदि कदाचित मनान होने पर भी मन काव में न आता हो तो समाज के विचारवान भाइयों से मलाह करके संतान का योग्य प्रबंध करके फिर पुनर्विवाह करें परन्तु व्यभिचार के नरक में कभी न पड़ें। ___ प्यारी बहनो-तुम्हारे हित के लिये ऊपर की शिक्षा दी गई है उस पर निर्भय हो चलो, पाप में सदा वचो-यह बात अच्छी तरह याद रकवा कि जैसे विधर को पुनवियाह का अधिकार है वैसे ही विधवा को है। दोनों को श्राविकाचार में अणुवती कहते हैं । विधवा विवाह अधर्म नहीं है इसे नीति व्यवहार समझो व्यभिचार महाअधर्म है उसमें अपने को कभी न डालो।
विधवाओं के संरक्षकों को भी इस लेख पर पग ध्यान देकर विधवाओं के जीवन सुधारने चाहिये ।
-
-
-
आवश्यक सूचना । दिल्ली में एक जैन बाल विधवा विवाह सहायक सभा स्थापित हुई है। वे सज्जन जो विधवा विवाह के सिद्धांत से सहमत हो, जो सभा के मेम्बर होना चाहं या जिन्हें अपने लड़के या लड़की का ऐसा सम्बन्ध करना स्वीकार होवे नीचे लिखे पते पर पत्र व्यवहार करें: -
उपमंत्री-.