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हम विवाह न करेंगे । तथा जिसके साथ माता पिता ने विवाह ठीक किया हो उस पुरुष को भी समझ लें कि वर २० वर्ष के अनुमान है या नहीं, कहीं छोटा तो नहीं है या बूढ़ा नो नहीं है जवान सदाचारी कमाऊ वर के माथ विवाह करें- यदि वर पसंद नहीं हो तो तुरन्त माना पिना को मना करदें यदि न माने तो ज़िट करें तथा परोपकार्ग भाई हो उनको अपने मनका दुःख कहकर उनकी मदद से अनमेल विवाह को रोकं आज कल लाभी माता पिता पैसे के लोभ में बढ़े व निर्वल पुरुष के साथ विवाह पक्का कर देते है इस जुल्म को न होने दें। यदि माता पिना न पान तो पलिम में खबर देकर या मजिस्ट्रेट को लिवकर इस अन्याय से बचें।
(३) तीमग कर्तव्य यह है कि विवाह हो जाने पर कभी भी परपुरुप की चाह न करें अपने पति की हर. नगह भक्ति करें व योग्य मन्नान को पैदा करें मन्नान की अच्छी आदन मिग्वावं । घर में सब में प्रेम रकम्व किमी से कठोर बचन बोलकर लड़ाई झगड़ा न करें।
(४) यदि संतान रहित हों और विधवापना जाने नव अपने मन को देखें कि सच्चं हृदय से ब्रह्मचर्य पालने की शक्ति हो तबना पुनर्विवाह न करें परन्तु यदि मन वश में न हो तो कभी भी व्यभिचार में न पड़े और खुशी से किसी सभा द्वाग पुनर्विवाह कराकर ग्रही धर्म में रहें ।