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Q.
एक देश ब्रमचर्य पालना चाहिये और तब उसको किसी योग्य स्त्री से विवाह करके ग्रही जीवन संतोष से विताना चाहिये वेश्या व पर स्त्री सेवन आदि अनेक प्रकार व्यभिचारों अपने को इस तरह बचाना चाहिये |
इसी तरह पुरुष वियोगी स्त्री को अर्थात् विधवा को अपने भावों की अपनी शरीर की शक्ति को देखना चाहिये कि इन दो प्रकार के ब्रह्मचर्यो में वह किस को पालने की शक्ति रखती है । यदि वह पूर्ण ब्रह्मचर्य पाल सके तो उसको ब्रह्मचारिणी रहकर स्वपर कल्याण करना चाहिये और अपने मानव जन्म को भले प्रकार सफल करना चाहिये । यदि वह विधवा अपनी शक्ति ब्रह्मचर्य पालने की न देखे तो उसे पुरुषकी तरह अपर्ण या एकदेश ब्रह्मचर्य पालना चाहिये और तब उस विधवा को उचित है कि वह किसी योग्य पुरुषसे विवाह सम्बन्ध करके ग्रही जीवन संतोष से विताव, संतानों को जन्म दे और उन्हें पाले ।
साधारण जैन भाइयों ने यह भ्रम बना रक्खा है कि विधवा को पुनर्विवाह करने का हक नहीं है। हम जहां तक जैन शास्त्र, नीति व तर्क को समझते हैं उससे हम कह सक्त है कि यह मानना कि विधवा को पुनर्विवाह का अधिकार नहीं है किसी भी सुतर्क से सिद्ध नहीं हो सकता है। जो हेतु एक विधुर को पुनर्विवाह करने में है
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