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खोटी गति में नहीं जाना है तो उनको व्यभिचार के पाप में अपने को हर तरह बचाना चाहिये । इस पार से बचने का उपाय यही है कि वे व मचर्य व्रत के मतलब को अच्छी तरह समझ लेवें।
ब्रह्मचर्य वन दो तरह में पाला जाता है एक पूर्ण या सर्व देश दुसरे अपूर्ण या एक देश । पूर्ण व मचर्य में पुप को मन वचन कायमे सर्व स्त्री मात्र का व मर्च प्रकार काम भाव का त्याग होता है, इसी तरह स्त्री को मन वचन काय में सर्व पुप मात्र का व सर्व प्रकार काम भाव का त्याग होता है । अपूण व एक देश व मचर्य में पुरूप जिम बी को समान व नानिक अनमार विवाद लें उस स्त्री के मिपाय उसके सा अविवाहित व विवाहित स्त्रियों का त्याग होता है इमी नग्ह बी जिम पुष्प का समाज व नीति के अनुसार विवाहले उम पुल्प कामवाय उसे अन्य विवाहित व अविवाहित पापोंका त्याग होता
वी वियोगी पुरुप को अथात विमर को अपने भावों को व अपनो शरीर की शक्ति को देखना चाहिये कि इन दो प्रकार के ब्रह्मचर्य में से वह किम को पालने की शक्ति रखता है । यदि वह पूर्ण ब्रह्मचर्य पाल सके तो उस ब्रमचारी रहकर स्वपर कल्याण करते हुपे मानव जन्म को मफल करना चाहिये । यदि वह विधुर अपनी शक्ति पूर्ण ब्रमचर्य पालने की न दे वे तो उसे अपूर्ण या