________________
( २१४ )
विवाह करने की बात सिद्ध होती हैं । इच्छानुसार पति के पास जावे - यहाँ इच्छानुसार शब्द का कुछ प्रयोजन ही नहीं मालूम होना, जब कि, इच्छानुसार विवाह करे – इस वाक्य में इच्छानुसार शब्द श्रावश्यक मालूम होता है 1
आपद्गतावाधर्मविवाहस्कुमारी परिगृहीनार मनाख्याय प्रापितं श्रयमाणं सततीर्था न्याकाङ्क्षत ||३३|| संवत्सरं श्रूयमाणमाख्याये ॥३४॥ प्राषितमश्रूयमाणं पञ्चतीर्थान्या कक्षेत ॥ ३५ ॥ दश श्रमयाणम् || ३६ || एक देशदत्त शुल्कं त्रीणीतीर्थान्यश्रयमाणम् ||३७|| श्रूयमाणम् सप्ततीर्थान्यकाङ्क्षत ||३८|| दत्त शुल्कं पञ्चतीर्थान्यश्रूयमाणम् || ३६ || दश श्रूयमाणम् ||४०|| ततः परं धर्मस्थैर्विसृष्ट्रा यथेष्टम् विन्देत् ||४१ || निर्धनता से प्रापद्मस्त कुमारी ( श्रक्षतयोनि ) चिलका चार धर्मविवाहों में से कोई विवाह हुआ और उसका पति बिना कहे परदेश चला गया हो तो वह सान मासिकधर्म पर्यंत प्रतीक्षा करे | कहकर गया हो तो एक वर्ष तक | प्रवासी पति की ख़बर न मिलने पर पाँच मासिकधर्म तक | ख़बर मिलने पर दश मासिकधर्म तक प्रतीक्षा करे । विवाह के समय प्रतिज्ञात धन का एक भाग ही जिसने दिया हो ऐसा पति विदेश जानेपर अगर उसकी ख़ाबर न मिले तो तीन मासिकधर्म तक और ख़बर मिलने पर सात मासिक धर्म तक उसकी प्रतीक्षा करे। अगर प्रतिज्ञात धन साग देदिया हो तो ख़बर न मिलने पर तीन और ख़बर मिलने पर सान मासिकधर्म तक प्रतीक्षा करे । इसके बाद धर्माधिकारी की श्राज्ञा लेकर इच्छानुसार दूसरा विवाह कर ले ( यहाँ भी यथेष्ट ं शब्द पड़ा हुआ है | ) | साथ ही धर्माधिकारी आज्ञा लेने की बात कही गई है। पुनर्विवाह के लिये ही धर्माधिकारी की आज्ञा की ज़रूरत है न कि पति के पास जाने के लिये। फिर