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________________ ( १८५ ) पना-गाना, बजाना मीत रही थी। श्रीकण्ठको देखा ना माहित होगई और माता पितादि की चांग से श्रीकण्ठ के साथ चल दी। पिता ने श्रीकराठका पीछा किया किन्तु लड़ाई के अवसर पर पना ने कहसा दिया कि मैं अपनी इच्छा म आई हूँ, मैं इन्हीं के साथ विवाह करूंगी। अन्तमें पिता चला गया और इसने श्रीक राठम विवाह कर लिया। पर्व पमपुगण। अञ्जना-विवाह के समय कमिकम्भनिभस्तनी' गज कम्भक समान स्तन वाली अर्थात् पूर्ण यवती थी । पद्मपुराणु १५-१७। कंकया-गाना नाचना आदि अनेक कला में प्रवीण, दशरथ को युद्ध में महायता दनवाली के कया का वर्णन जैसा पद्मपुराण २४ वे पर्व में विस्तार से मिलता है वह १२ वर्ष की लड़की के लिए असम्भव है। भाठकुमारियाँ-चन्द्रवर्धन विद्याधर की पाठलड़कियाँ । मीना म्वयम्बर के समय इनने लक्ष्मण को मन ही मन वर लिया था परन्तु विवाह उस समय न हा पाया। जब लक्ष्मण गवण से युद्ध कर रहे थे उस समय मी ये लक्ष्मण को देखने पहुंची। युद्ध के बाद विवाह हुआ । य एक ही माता से पैदा हुई थी इसलिये अगर छोटी की उमर १२ वर्ष की हो तो बड़ी की उमर १६ की जरूर होगी। फिर सीता म्वयम्बर के समय जिनने मन ही मन साक्ष्मण का वरण किया उमका उस समय विवाह न हुआ, कई वर्ष बाद त्वंकाविजय के बाद विवाह हुभा, उस समय तक उनकी उमर और भी ज्यादा बढ़ गई। पाठ गन्धवे कन्याएँ---एक ही माता सं पैदा हुई इस. लिये इनकी उमर में अन्तर था । परन्तु वे एक साथ रामचन्द्र
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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