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________________ और उपभोग सामग्रीमें बड़ा फ़रक है, यह सदा म्मरण रखना चाहिये । उपभोग मामग्री दुसरे के लिये घृणित नहीं होजाती। हाँ, अगर एकाध चीज़ थाड़ो बहुत घृणित कहलावे भी, तो यह नियम कदापि नहीं गया जा सकता कि उपभोग सामग्री हो जाने से वृणित हो ही गई । क्योंकि पंसा मानने से कुर्सी नौकी श्रादि का दुबाग उपयोग करना भी घृणित कहलाने लगेगा। आक्षेप (घ)-ऐमा कहीं न देखा मुना होगा कि एक स्त्री के शक पुरुप हो. जिस प्रकार एक पुरुप के अनेक स्त्रियाँ होती है: यह सिद्धान्त कितना अटल है ? (श्रीलाल) समाधान-पाक्षपक के सिद्धान्त की अटलता का तिब्बत में-जिसे प्राचीनकालमें त्रिविष्टप या स्वर्ग कहते थेदिवाला निकला हुआ है। वहाँ पर एक स्त्रीक एक साथ चार चार छः छः पति होते हैं। और अमेरिका, इंग्लेड श्रादि देशो में एक पुरुष को एक से अधिक पत्नी रखने का अधिकार नहीं है। प्राकृतिक बात यह है कि एक पुरुष और एक स्त्री का दाम्पत्य सम्बन्ध हो । हाँ, अगर शक्तिका दुरुपयोग करना हो तो एक पुरुष अनेक स्त्री रख सकता है और एक स्त्री अनेक पुरुष रख सकती है। अटल नियम कुछ भी नहीं है । अगर थोड़ी देर के लिये आक्षेपक को बात मानली जाय कि एक स्त्री एक ही पुरुष रख सकती है तामी उसके पुनर्विवाह का अधि. कार छिन नहीं जाता । एक श्राभूषण एक समय में एक ही श्रादमी के काम में श्रामकता है। क्या इसीलिये फिर कोई उसका उपयोग नहीं कर सकता ? स्त्री तो रत्न है । रत्न एक समय में एक ही श्रादमी की शोभा बढ़ाता है, लेकिन समयान्तर में दूसरे के काम में भी आता है । आक्षेप( )-एक पुरुष अनेक स्त्रियों से एक वर्ष में
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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