________________
(
७८
)
द्योतक है अवधि । अवधि इस दृष्टिकोण से अत्यल्पपराश्रय की अपेक्षा रखता है अतः उसके साथ आधुनिक वैज्ञानिक गवेषणाओं की सर्वथा सामञ्जस्य स्वीकार करने को हम उद्यत होना नहीं चाहते लेकिन यह भी अस्वीकार करते नहीं बनता कि अनेक सूक्ष्म वैज्ञानिक उपलब्धियां मति श्रुति से कहीं अधिक दूर की हैं।
जैन सिद्धांत हमें यहां भी सहायता करता है एवं उसका एक अन्य विभाग जो अवधि का समकक्ष है, परिभाषा से अछता नहीं रहा, उसे कहा गया विभंग । अवधि की उससे हर बात में समानता सी है, भेद है तो केवल दिशा का एक भाव शुद्धि का परिचायक है तो दूसरा व्यवहारोपयोगी प्रयोगादि संभव प्रक्रिया शुद्धि का बोध कराता है । अवधि पथिक आत्म स्वातंत्र्य का अनुशरण करता है तो विभंगान्वेषी सूक्ष्म शक्तियों का अन्वेषक हो अपरिमेय परिवर्तन उत्पन्न करने की ओर बढ़ता है ।
इसी यंत्र संभव ? यंत्र क्रिया में परिणत करने लायक विभंग की कई चेष्टाओं का आधुनिक सूक्ष्म वैद्युतिक यंत्रों के साथ संतुलन किया जा सकता है । राडर का आविष्कार क्षेत्रावधि की संभावना सूचित करता है तो टेलीवीजन रूपवान पदार्थों के दूरात् ग्रहण को सार्थक करता है। इस तरह अन्य सूक्ष्म अणु परमाणुओं के यांत्रिक ग्रहण द्वारा जो रूपवान पदार्थों में परिवर्तन किये जाते हैं वे विभंग ज्ञान के यंत्र प्रयोग का परिणाम कहे जा सकते हैं। जैन ऋषियों द्वारा वर्णित ज्ञ न की यह सूक्ष्म प्रक्रिया
आज के वैज्ञानिक बोध के बीज मन्त्र के समान है. तथा उसकी पहुच अत्यन्त व्यापक मानी गयी है।