________________
(२२३)
३. श्रीविक्रमादित्य सम्बत् ५७८ (पांचसो अठहतर) में श्रीरत्नपुर नगः । रका वासी जातिका चोहान रजपूत तिसकी २४ (चोवीस ) खां नीचे • मुजब हैं(१) हाडा (२) देवडा (३) सोनगरा (४) मालमीचा (५) कूदणेचा (६) वेमा (७) वालोत (८)चीवा (९) काच (१०) खीची (११) विहल (१२) सेंभटा (१३) मेलवाल (१४ 1 वालीचा (१५) माल्हण (१६) पावेचा (१७) कांबलेचा (१८रापडीया (१९) पुदणेच (२०) नाहरा (२१) ईश्वरा ( २२) राकसीया (२३) वाघेटा (२४) साचोरा
इन चोवीस खांपाको प्रतिबोध करके ओसवाल स्थापन किये उनकी ९ (नव) शाखा हुई वह नीचे मुजव है(१) रत्नपुरा (२) वालाही (३) कटारिया (४) कोरेचा (५) सापडहा (६) सामरिया (७) नराणगोत्रा (८) भलाणीया (९) रामसेण्या
४. विक्रम सम्वत् ७.१ ( सातसो एक ) में श्रीरविप्रभसरीजीने लखोटीया महेश्वरी लाखणसीको प्रतिवोध करके तिसके पुत्र के नामसे ओसवाल वंश और लोटा गोत्र स्थापन किया
५. विक्रम सम्बत् ७३२ ( सातसो बत्तीस ) में जैनाचार्यने अजमेरके राजा चावा नामक, चोहानगोत्रका को प्रतिवोध करके तिसके पुत्र के नामसे ओसवाल वंश और लोढा गोत्र स्थापन किया
६. विक्रम सम्बत् ७.२ (सातसोबत्तीस ) में जैनाचार्यने जातिके चोहान रजपूतोंको प्रतिवोध करके ओसवाल वंश और वाफणा गोत्र स्थापन किया तिसकी तेवीस शाखा नीचे मुजब हैं:
(१) जोटा (२) पोरवाल (३) भाभू (४) सोनी (५) मरोटी (६) समूलीया . (७) धांधल (८) दसोरा (९) भूआता (१०) नाहटा (११) कलसेहीया. (१२) वसाह (१३) धतूरीया (१४) साहलीया (१५) मुंगरवाल