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स्त्री मोक्षवाद
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आप स्त्रियोंको जो दुर्वल कमजोर मानते हैं इसका क्या कारण?" क्या उनमें चारित्र आदि गुण नहीं हैं ? क्या उनमे अमुक प्रका-. रका विशेष वल नहीं है? क्या उन्हें पुरुष प्रणाम नहीं करते इससे घे कमजोर है? क्या वे पढ़ाना वगैरह नहीं करतीं इससे निर्बल हैं? या उनके पास किसी प्रकारकी कोई बड़ी ऋद्धि सिद्धि न होनेसे वे कमजोर हैं? या उनमें कपट वगैरहकी अधिकता होनेसे वे कम जोर हैं ? । यदि आप यह कहते हैं कि स्त्रियों में चारित्र नहीं होता अतएव वे कमजोर हैं तो इसमें भी हमें एक प्रश्न पूछना पड़ता है। उनमें चारित्र न होने के क्या कारण? क्या वे वस्त्र रखती हैं इस लिये उनमें चारित्र नहीं होता ? वा उनमें शक्ति नहीं होती इस लिये चारित्र नहीं होता ? यदि श्राप यह कहें कि वे वस्त्र रखती हैं अतः उनमें चारित्र नहीं होता तो आपकी बात यथार्थ नहीं। क्योंकि वस्त्र रखनेसे चारित्र न हो इसका भी कोई कारण होना चाहिये। क्या वस्त्र रखने मात्रसे ही चारित्र नहीं रहता या वस्त्रका परिग्रह रखनेसे चारित्र नहीं रहता ? हमें यह विचार करना चाहिये कि स्त्रियाँ वस्न रखती हैं उसका कारण क्या है ? वे वलका परित्याग नहीं कर सकतीं इस लिये वस्त्र रखती हैं या संयमकी साधना सुखपूर्वक हो सके इस लिये रखती हैं ? यदि यह कहा जाय कि वे वस्त्रका परित्याग नहीं कर सकती इसलिये वस्त्र रखती हैं तो यह बात ठीक नहीं। क्योंकि स्त्रियाँ तो धर्मके लिये प्राणोतकका भी परित्याग करती हुई देखनमें आती हैं तो फिर एक चीथड़ेका परित्याग करने में वे अशक्त हैं यह किस तरह माना जाय ? यदि यों कहा जाय कि संयमकी साधनाके लिये ही वे वस्त्र धारण करती हैं तो फिर उनमें चारित्र नहीं यह कैसे कहा जाय? तथा जिस प्रकार स्त्रियाँ संयमकी साधनाके लिये वस्त्रको धारण करती हैं वैसे ही पुरुप भी क्यों न धारण कर सके? यदि यह' कहा जाय कि वे अवला होनेके कारण यदि वस्त्र धारण न करें तो उन पर पुरुपौकी ओरसे जुल्म होनेकासम्मव है और उनके संयमकी विराधना होनेका भय है एवं पुरुष वस्त्रनधारण करें तो उनके संयममें किसी प्रकारका बाध नहीं आता अतः पुरुषको संयमकी साधना