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(३) अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर स्वर्ग सिधारे । स्वर्गवासके समय भी आपने अपने स्वर्गवास निमित्त छह हजार रुपये धर्मकृत्यमें खर्चने की अपने विनीत पुत्र हरिचंदजीको आज्ञा दी । जो कि वैसा ही किया गया।
आपके वाद आपके सुपुत्र शेठ हीराचन्दजीने भी आपके समान ही उदारतावुद्धि धारण करके हजारों रुपया धर्मकार्यों में खर्च किया है और करते हैं। हम भी अन्तमें यही आशा रखते हैं कि, आपके सुपुत्र शेठ हीराचन्दजी भी आपके ही समान अपनी लक्ष्मीका सदुपयोग करते रहें।
भवदीय-अभयार्थी।