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आराधना या मोक्ष-मार्ग
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बन्धन से मुक्ति की ओर, शरीर से आत्मा की ओर, बाह्य-दर्शन से अन्तर- दर्शन की ओर जो गति है, वह आराधना है । उसके तीन प्रकार हैं". ( १ ) ज्ञान-आराधना ( २ ) दर्शन-आराधना ( ३ ) चरित्र - श्राराधना, इनमें से प्रत्येक के तीन-तीन प्रकार होते हैं
( १ ) ज्ञान-आराधना - उत्कृष्ट ( प्रकृष्ट प्रयत्न ) मध्यम् ( मध्यम प्रयत्न )
जघन्य (अल्पतम प्रयत्न )
( २ ) दर्शन-आराधना
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(३) चरित्र - आराधनाआत्मा की योग्यता विविधरूप होती है I अत एव तीनों आराधनाओ का प्रयत्न भी सम नहीं होता । उनका तरतमभाव निम्न यंत्र से देखिए -
ज्ञान के
उत्कृष्ट
प्रयत्न में
दर्शन के
उत्कृष्ट
प्रयत्न में
चरित्र के
उत्कृष्ट
प्रयत्न में
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जैन दर्शन में आचार मीमांसा
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ज्ञान ज्ञान ज्ञान दर्शन दर्शन
दर्शन चरित्र चरित्र चरित्र का का का
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का का का का का उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न
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