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________________ ६. काल संमार के अन्दर जो छः द्रव्य पाये जाते हैं उनमें से काल द्रव्य एक है। उसके दो विभाग हैं- व्यवहार काल और निश्चय काल । व्यवहार काल उसे कहते हैं जिसके कारण सभी जीवधारी और अजीव पदार्थ अपनी अपनी आयु पूरी करते हैं । वह वस्तुओं के परिवर्तन होने में सहायता करता है तथा ममय, घड़ी, घण्टा, दिन-रात आदि के रूप में जाना जाता है। निश्चय काल कालाणों की एक लड़ी है । प्रत्येक कड़ी में अन-गिनत कालाणु संलग्न हैं। एक-एक कालाणु लोक के एक-एक प्रदेश पर अवस्थित है। आकाश के जितने स्थान को एक परमाण घेरता है उसे प्रदेश (Space: point) कहते हैं । ये कालाणु एक दूसरे से नही मिलते । वे अविभाज्य प्ररूपी और निष्क्रिय हैं। ___ काल द्रव्य का एक महत्वपूर्ण पहलू जो उसे पञ्च द्रव्यों से अलग करता है, वह यह है कि 'काल की गति एक ही दिशा' में है ( lime is unidirectional)। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एडिगटन ने उसे 'समय का तीर' कहकर पुकारा है। जैसे तीर एक ही दिशा को सीधा चला जाता है वैसे ही काल की चाल है जो धनुष से छूटे हुए तीर की भाँति सीधा एक ही दिशा में गमन करता है । तात्पर्य यह है कि ये कालाणु आकाश में इस तरह व्यवस्थित हैं कि वे एक लम्बी कतार के रूप में विद्यमान हैं।
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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