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________________ चित्र ४ और ५ में यह दिग्वलाया गया है कि नाइट्रोजन के परमाणु को किस प्रकार आक्सीजन के परमाणु में परिवर्तित किया गया है। चित्र ४ में जो बड़ा वृत बना हुआ है वह नाइट्रोजन के परमाणु का नाभि (Nucleus) है इसके अन्दर जो तीन छोटे वृत बनाये गये हैं वे तीन एल्फा कण हैं । प्रत्येक एल्फा कण के अन्दर ४ प्रोटीन और २ इलेक्ट्रोन होते हैं। प्रोटीन को (+) धन चिन्ह से अंकित किया गया है और इलेक्ट्रौन को ऋण (-) चिन्ह से। चित्र ४ को देखने से ज्ञात होगा कि नाइट्रोजन के परमाणु में विस्फंट होने से पहले उसकी नाभि में तीन एल्फा कण दो प्रोटीन और एक इलेक्ट्रोन होता है। इसी चित्र में दाहिनी ओर जो एल्फा कण दिखलाया गया है वह एक गोली है जो नाइट्रोजन के परमाणु में विस्फोट उत्पन्न करने के लिए प्रयोग में लाई जा रही है। चित्र ५ में नाईट्रंजन के परमाणु की विस्फट के पश्चात् जो अवस्था होती है वह दिखलाई गई है। चित्र को देखने से ज्ञात होगा कि बाहर से भेजा हुश्रा एल्फा कण नाभि के अन्दर मकर वैट गया है और उमकी टक्कर से एक प्रंटौन बाहर निकल पड़ा है वह नया परमाणु बना जो श्रामीजन का परमाणु चित्र नं. ५ है। पुदगल में होने वाली पूरयन्ति क्रिया नाईट्रोजन का न्यूक्लियस विस्फोट के बाद बार का यह बड़ा सुन्दर आक्सीजन में परिवर्तित हो गया उदाहरण है।
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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