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थे। माठ कल्प पूर्व 'पदुमं नाम' एक चक्रवर्ती को भी दिया गया था। वही चक्रवर्ती बाद में पिण्डोल भारद्वाज हुआ ।' ____ अष्टम तीर्थकर 'चन्द' का नाम शिखि बुद्ध के एक उपासक को दिया गया था । 'जातक' में वाराणसी का नाम 'पुफ्फवती' मिलता है । सम्भवतः यह नाम नवम् तीर्थकर पुष्पदन्त पर आधारित हो । तेरहवें तीर्थकर 'विमल' के नाम से एक प्रत्येक बुद्ध का नाम जोडा गया है।' एकसठ कल्पों पूर्व 'विमल' नाम का एक राजा भी था जो सम्भवतः विमलनाथ ही हो। इसी प्रकार कामावचार लोक में जन्म लेनेवाले देवयुक्त बोधिसत्व का नाम पन्द्रहवें तीर्यकर 'धर्म' (धम्म) के नाम पर आधारित है। 'मिलिन्द प्रञ्हो' में इसी नाम का यक्ष भी मिलता है जिसका सम्बन्ध सम्भवतः किसी विद्याधर से रहा होगा ।
अरिष्टनेमिः
अरिष्टनेमि जैन परम्परा के बाईसवें तीर्थंकर हैं। वैदिक एवं बौद्ध साहित्य में भी उनका पुनीत स्मरण हुआ है । 'अंगुत्तरनिकाय' में 'अरनेमि' के लिए छह तीर्थकरों मे एक नाम दिया गया है। 'मज्झिमनिकाय' में उन्हें ऋषिगिरि पर रहनेवाले चौबीस प्रत्येक बुद्ध में अन्यतम माना गया है। 'दीघनिकाय' में "दृढनेमि" नामक चक्रवर्ती का उल्लेख आया है ।" इसी नाम का एक यक्ष भी था । ऋग्वेद (७.३२.२०) में नेमि का और यजुर्वेद (२५.२८)में अरिष्टनेमि का उल्लेख आता है।'महाभारत' में अरिष्टनेमि के लिए
१. पेरगाथा, अपदान, भाग-१, पृ. ३३५; मज्झिमनिकाय, भाग-३, पृ. ७०; पेतवत्य,
पृ. ७५. २. अपदान, भाग-१, पृ. ५०. ३. बुखवंस, २१. १२२. ४. मजिामनिकाय, भाग, ३. पृ. ७०; अपदान भाग १ पृ. १०७. ५. अपदान, भाग, १, पृ.२०५, थेरगाथा, अपदान, भाग १, पृ. ११५. ६.धम्मजातक. ७.पू. २१२. ८. अंगुत्तरनिकाय, पम्मिकसुत्त, माग, ३, पृ. ३७३. ९. इसिगिलिसुत्त. १०. Dialogues of the Buddha-भाग ३, ५, ६० 7-60) ११. वीपनिकाय, भाग ३, पृ. २०१.