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________________ प्रकाशकीय , महान् क्रियोद्धारक स्वर्गीय पूज्य आचार्य श्री रत्नचन्द्रजी म सा की स्वर्गवास शताब्दी (स २००२) के पुनीत प्रसग पर परम श्रद्धय आचार्य श्री हस्तीमलजी म सा के सदुपदेशो से प्रेरित-प्रभावित होकर सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल की स्थापना की गई । मण्डल द्वारा सम्यग्ज्ञान के प्रचार-प्रसार की विविध प्रवृत्तियां सचालित की जा रही है जिनमे मुख्य हैं-'जिनवाणी' मासिक पत्रिका का नियमित प्रकाशन, सामायिक व स्वाध्याय सघ का सचालन तथा जीवनोन्नायक सत् साहित्य का निर्माण एव प्रकाशन । __ अव तक सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल द्वारा प्रागमिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, तात्त्विक, कथात्मक, स्तवनात्मक, प्रवचनात्मक, व्याख्यात्मक आदि विविध विषयक धर्म, दर्शन, इतिहास व साहित्य मम्वन्धी ५० से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। ये पुस्तके सतसतियो, विद्वानो, स्वाध्यायियो से लेकर सामान्य स्तर के सभी पाठको के लिए पठनीय, मननीय, चिन्तनीय और उपादेय रही हैं। कई पुस्तकें पुनर्मुद्रित भी करायी गई हैं । उच्चकोटि के सत् साहित्य के निर्माण एव प्रकाशन की व्यापक योजना भी तैयार की जा रही है ताकि जीवन और समाज की साहित्य सम्बन्धी बढती हुई माग पूरी की जा सके। इसी योजना के अन्तर्गत जैन दर्शन और साहित्य के प्रमुख विद्वान एव समीक्षक तथा 'जिनवाणी' के सम्पादक डॉ नरेन्द्र भानावत की प्रस्तुत पुस्तक 'जैन दर्शन : प्राधुनिक दृष्टि' का प्रकाशन किया गया है । डॉ भानावत विगत कई वर्षों से 'जिनवाणी' का सम्पादन कर रहे है और मण्डल की विविध साहित्यिक एव आध्यात्मिक प्रवृत्तियो मे उनका सतत मार्गदर्शन मिलता रहा है। उनके कुशल सम्पादन मे 'जिनवारणी' के स्वाध्याय, सामायिक, तप, साधना, श्रावक धर्म, ध्यान, जैन सस्कृति और राजस्थान आदि विशेषाक प्रकाशित हुए हैं जो बौद्धिक (७)
SR No.010213
Book TitleJain Darshan Adhunik Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year1984
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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