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वर्तमान परिस्थितियो ने आध्यात्मिकता के विकास के लिए अच्छा वातावरण तैयार कर दिया है। आज आवश्यकता इस बात की है कि भगवान महावीर के तत्त्व-चिन्तन का उपयोग समसामयिक जीवन की समस्याओ के समाधान के लिए भी प्रभावकारी तरीके से किया जाय । वर्तमान परिस्थितिया इतनी जटिल एव भयावह बन गयी हैं कि व्यक्ति अपने आवेगो को रोक नही पाता और वह विवेकहीन होकर आत्मघात कर बैठता है। आत्महत्याग्रो के प्राकडे दिल-दहलाने वाले हैं, ऐसी परिस्थितियों से बचाव तभी हो सकता है जबकि व्यक्ति का दृष्टिकोण आत्मोन्मुखी बने । इसके लिए आवश्यक है कि वह जड तत्त्व से परे चेतन तत्त्व की मत्ता में विश्वास कर, यह चिन्तन करे कि मैं कौन है ? कहाँ से आया हूँ ? किससे बना हूँ, ' मुझे कहाँ जाना है ? यह चिन्तन-म उसके मानमिक तनाव को कम करने के माय-साथ उसमे आत्मविश्वास, स्थिरता, धैर्य, एकाग्रता जैसे सद्भावो का विकास करेगा।