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जैन-दर्शन ५-ज्ञानप्रबाद इसमें ज्ञान अज्ञान के विषयों का वर्णन है।
ई-सत्यवाद-इस में अनेक भाषाओं का तथा दश प्रकार के सत्यों का वर्णन है।
७-श्रात्मवाद-इसमें अात्माके अस्तित्व, नास्तित्व, नित्यत्व, अनित्यत्व आदिका वर्णन है।
-कर्मप्रवाद-इसमें कर्मों के बंध, उदय उपशम आदिका वर्णन है।
६-प्रत्याख्याननामवेय-त्रत, नियम, प्रतिक्रमण, प्रतिलेखन, तप श्रादिकी विराधना श्राराधना शुद्धि श्रादिका वर्णन है।
१०-विद्यानुवाद-समस्त विद्या महानिमित्त विद्या श्रादि का वर्णन है।
११-कल्याण नामधेय-इसमें सूर्य, चन्द्रमा, तारे, नक्षत्र आदि की गतियों का वर्णन है।
१२-प्राणावाय-इसमें अनेक औषधियों का वर्णन है।
१३-क्रियविशाल-इसमें पुरुषों की बहत्तर कला और स्त्रियों की चौसठ कलाओं का वर्णन है। __१४-लोक विंदुसार-इसमें आठ प्रकारके व्यवहार, चार प्रकार के वीज आदिका वर्णन है।