________________
२६८]
जैन-दर्शन
-
को तीन दिन का सूतक लगता है और अन्य लोगों की शुद्धि स्नान मात्र से हो जाती है । यदि कोई कन्या मुंडन करने से पहले मर जाय तो माता पिता को तोन दिनका और भाई बंधुओं को स्नान करने मात्र का सूतक है । यदि कोई कन्या व्रत ग्रहण करने से पहले मर जाय तो माता पिता को तीन दिन का सूतक लगता है और भाई बन्धुओं को एक दिन का सूतक लगता है। यदि कोई कन्या विवाह से पहले मर जाय तो माता पिताको तीन दिन का और अन्य कुटुम्बी लोगों को दो दिन का सूतक लगता है। यदि कोई कन्या विवाह के बाद मर जाय तो माता पिताको दो दिनका सतक लगता है और अन्य कुटुम्बी लोनों को स्नान करने मात्रका सूतक है । यदि कोई विवाहित कन्या माता पिता के घर मर जाय तो माता पिता को तीन रातका सूतक लगता है तथा अन्य कुटुम्बी लोगों को एक दिन का सूतक माना जाता है। यदि किसी कन्या के माता पिता किती कन्या को सुसराल में जाकर मरें तो उस कन्या को तीन दिनका सूतक लगता है यदि वे कन्या के माता पिता किसी दूसरी जगह मरे और उस कन्याको दश दिन के भीतर मालूम हो जाय तो उस कन्या की तीन दिनका हो सूतक मानना चाहिये । यदि माता पिता के भाई की मृत्यु हो जाय तो उस कन्या को एक दिन का सूतक मानना चाहिये। तथा माता के भाई के मरने पर कोई कोई लोग स्नान करने मात्र का सूतक मानते हैं । परन्तु यह स्नान करने मात्रका सूतक मानना आदि उस घर में रहने वाले अन्य लोगों के लिये समझना चाहिये । यदि