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जैन-दर्शन .. चिकनाई लाना, संतुष्ट करना वृद्धि करना तीन गुण- हैं। इसी प्रकार प्रत्येक पदार्थ में अनेक गुण वा धर्म रहते हैं। ...
किसी स्थान पर एक घडा रक्खा हुआ है। वह घडा दूर रक्खे हुए अन्य घडों से दूर है, समीप रक्खे हुए घडों से समीप है, पुराने घडों की अपेक्षा नया है, नये घडों की अपेक्षा पुराना है, देवदत्त के घड़े से अच्छा है, यज्ञदत्त के घड़े से अच्छा नहीं है, किसी घड़े से छोटा है, किसी से बड़ा है, किसी से सुडौल है, किसी से सुडौल नहीं है । इस प्रकार उसमें अनेक धर्म हैं और ये धर्म अन्य पदार्थों के संबंध से होते हैं । तथा प्रत्येक पदार्थ के साथ अन्य अनेक पदार्थों का संबंध रहता है। उन सबके निमित्त से प्रत्येक पदार्थ में अनेक धर्म हो जाते हैं । ' आज एक घडा बना । वह घडा मिट्टी से बना है जलसे नहीं, इस स्थान पर बना है अन्य स्थान पर नहीं, आज बना है अतीत अनागत काल में नहीं, तथा बडा बना है छोटा नहीं। इस प्रकार घड़े के उत्पाद में अनेक भेद हो जाते हैं। इसी प्रकार घडे के विनाश में भी अनेक भेद हो जाते हैं।
. इन सब धर्मों को दो प्रकार से कह सकते हैं-एक क्रमसे और दूसरे एक साथ । इसी विषय को आगे दिखलाते हैं। किसी भी पदार्थ के स्वरूप को कथंचित रूपसे कथन करना स्याद्वाद है। प्रत्येक पदार्थ में तीन धर्म रहते हैं-अस्तित्व, नास्तित्व और अवक्तव्याव । जैसे घट है इसमें घट विशेष्य है और 'है' यह विशेषण .
वक्त