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Gopastep
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श्रीमान् माणिकचन्द्रजोसे दानवीर सुसेठ थे, विद्या तथा सौजन्यतासे लोकमें जो श्रेष्ठ थे। जात्रालयों को द्रव्य पूर्वक जन्म इनने था दिया, यह सम्पदा रहते सभीका दीर्घ होता नहिं हिया।
भामाशाह । फिर भी हुये उत्पन्न दाता शूर भामाशाहसे,
देदी अतुल धन राशि जिसने देश हित उत्साहसे। श्रीमान् राणाने उसे पाकर मिटाया क्लेशको, सानन्द, हर्पित शीघ्रही पाया पुनः निज देशको।
वस्तुपाल, तेजपाल। सन्मार्ग दर्शक वस्तुपाल मदृशमचिव तय भी हुये,
हा तेजपाल समान भी धीराग्रणी हममें हुये । जिनने गुणों का गान सादर शत्रु भी करते रहे, पापी दुराचारी नद्रा ही नाम सुन उरते रहे।
पण्डित गण। पण्डिन यहां मर्मज्ञ थे जयगन्द्र भूधग्द्वानसे.
श्रीमान् टोटग्मल्ल. दौलनगम, श्रीस्नुबदामसे। कयि भी पनारमिनाम, याननसे ये हममें कभी, गोरालदाम सुत्री पर्रया विश न्वायन मनी ।