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सुकुमाल १ से सुकुमारसे थी एकदिन शोभित मही, पर्यङ्कको तज भूलकर भूपर दिया पग भी नहीं । जब वे तपोवनमें गये पगसे रुधिर धारा बही, निश्चल रहे निज ध्यानमें तन गीदड़ी खाती रही।
के ऊपर आके अटक गया जिससे लंकेश बहुत क्रोधित हुआ । "मैं इस बालिके साथ २ पर्वतको उखाड़ करके समुद्रमें फेक दूंगा ।" इत्यादि कहता हुआ पर्वतको हिलाने लगा । वालिदेव निस्पृही थे, उन्हें अपनी कुछ भी चिन्ता नहीं थी । "इस पर्वतपर अनेक प्राचीन चैत्यालय है वे सब नष्ट हो जायेंगे तथा अन्य कितने ही मुनियोंका नाश होगा" यही सोचकर उन्होंने अपने पगका अंगूठा धीरेसे नीचे को दबाया जिससे रावणका गर्व खर्न हो गया । पश्चात् रावणने अपने दुष्कृत्यकी कड़ी आलोचना की, अपराध क्षमा कराया ।
५ जग प्रसिद्ध अर्जुनका वृत्तान्त किससे छिपा हुआ है? महाभारत के अन्दर शौर्य दिखला करके अपना राज्य पुनः प्राप्त कर लिया था ।
१ सुकुमाल बड़े ही सुकुमार थे, एक बार राजा इनको देखनेके लिये आया । उस समय इनकी माताने दोनोंकी आरती उतारी जिससे सुकुमालकी आंखोंमें अश्रु आ गये । राजाने सेठानीसे कहा, तुम्हारे पुत्रको यह कौनसी बीमारी है ? सेठानी- राजन् यह कोई व्याधि नहीं है, किन्तु यह सदैव रत्नके प्रकाशको देखता है, माज दीपकके प्रकाशको देखकर इसकी आखोंमें आसु आ गये। सुकुमाल स्वभावसे ही धर्मात्मा था, सेठानीको सदा यह रहता था कि यह