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हे बंधुओ मिलकर परस्पर काम करना सीखिये, फिर आपही निज कार्यके परिणामको तो देखिये। दुष्कर न कोई कार्य है यह संघ शक्ति है जहां, नित हाथ जोड़ें ऋद्धियां या सिद्धियां आतीवहाँ।
साहस। कर्तव्य करनेके लिये बनना पड़ेगा साहसी, ' निज कार्य पूरा कर सकें हैं लोकमें कब आलसी। सच्चे पुरुष हैं आज हम यह कार्यसे बतलाइये, खोये हुए निज उच्च पदको शीघ्र फिरसे पाइये ।
पुरुषार्थ बिन देखो हमारा देव भी फलता नहीं, यों वायु बिन वह तुच्छ पत्ता भी कभी हिलता नहीं। विधिके भरोसेपर अहो कबतक रहोगे तुम पड़े, अपने पगों के जोरपर क्या अब न होगे तुम खड़े।
सब दैवही देता हमें यह बात बस कायर कहें,
नर-वीर जगमें सर्वदा पुरुषार्थ पर अविचल रहें। अच्छा बुरा ही कृत्य मानवका कहाता दैव है, परिणाम अपने कृत्यके अनुसार प्राप्त सदैव है।