________________
१६१
३१३ वे वन गीला पहिर करके काम कर सकती सभी, पर साफ धोतीको नहीं वे पहिर सकती हैं कभी। अह, पोंछती जाती उसी में हाथ आटा दालके, आया तथा घी लिप्त धुतिया काम आतीकालश्के।
३१४ हां,यदि अधिक उनसे कहो उत्तर यही देंगी हमें.
हम नारियोंके काममें क्या बोलकर करना तुम्हें ! तुम भृष्ट हो छूते फिरो सब जातिको बाजारमें, यो चल नहीं सकती तुम्हारी भृष्टता आहारमें।
तुम क्या मुझे समझा रहे हो शुद्धता मैं छोड़ दूं,
आके तुम्हारे बातमें तोला प्रथा क्या तोड़ दूं। अपवित्र यह आहार अब मुझसे नखाया जायगा, बाजार में भी बीसियों २का भात तुमको भायगा।
गृहिणी और गहने। होवे न रहनेके लिये चाहे निकट में झोंपड़ी, पर देवियोंको तो सदा आभूषणों की ही पड़ी।
१ दूसरा दिन। २ यासा, अथवा होटल।