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मान लो जैनो की संख्या है कम से कम 50 लाख । इसमें 25 लाख ऐसे व्यक्ति होगे जो प्रतिदिन पैसे आसानी से निकाल सकते हैं । महीने के अत मे प्रति व्यक्ति 50 पैसे से 100 पैसे दे । वर्ष-भर के पश्चात् यह राशि 25 लाख वयस्क आदमियो से इकट्ठी की हुई '3 करोड' तक जा पहुचेगी। इसमें सभी का हिस्सा होगा, सभी की सद्भावना होगी। डेढ करोड रुपया तो स्थानीय समितियाँ जरूरी व्यय के लिये अपने पास रख ले और शेष 11 करोड की एकत्रित राशि भारत केन्द्रीय समिति को दे दी जाये। कितना बड़ा काम हो सकता है यदि ईमानदारी से किया जाये ।
इस योजना को प्रादेशिक रूप में पहले मास मे दिल्ली में सफल बनाया जाये और शेप प्रातो के लिये आदर्श उपस्थित किया जाये । इस योजना की कार्यान्विति के लिये अनुशासन प्रिय, कर्मठ, विशेष रूप से ईमानदार आदमी चाहिये (xiv) जैन मिशन की स्थापनाः
जैन धर्म को अन्तर्राष्ट्रीय रूप देने के लिये ससार के देशो की राजधानियो तथा मुख्य नगरो में जैन मिशन (Jaan Mission) की स्थापना की जाये। इस दिशा मे योजनाबद्ध भिन्न-भिन्न देशो की सरकारो से पत्र-व्यवहार करके तथा संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N O.) के माध्यम से प्रत्येक राजवानी तथा नगर मे अनुभवी, सेवाभावी, त्यागोन्मुख जैन तथा जैनेतर विद्वानो के सहयोग से 'जैन मिशन' की स्थापना की जाये। इस सम्बन्ध में स्थानीय सर्वजन उपकारी (Philanthropists) लोगो से जो भी सहायता मिले, ग्रहण की जाये। पहला कदम उठाने पर दूसरा कदम स्वत: ही आगे निकल आयेगा। समस्या केवल योजनाबद्ध तरीके से कार्य आरम्भ करने की है।