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होंगे जो समूचे जैन धर्म में बाधक या सहायक प्रक्रियामो पर विचार करके जैनों की एकता पर एक सर्वमान्य नीति तैयार करेंगे तथा उस पर अपने सघ में श्राचरण करवाने के लिये कटिबद्ध होगे । यह समिति पत्र-व्यवहार द्वारा भी बहुत कुछ निर्णय ले सकती है ।
(v) केन्द्रीय श्रावक समिति. -
समस्त भारतवर्ष की या विश्व भर के जैनो की यह प्रतिनिधि समिति होगी जो समय-समय पर मिल बैठकर जैन धर्म तथा समाज की प्रगति सम्बन्धी समस्याओं पर विचार करेगी । 'एकता व अहिंसाधर्म प्रसार इसका लक्ष्य होगा' ।
यह समिति केन्द्रीय आचार्य समिति के साथ सहयोग करेगी और विचारो का आदान-प्रदान करेगी ।
( V1 ) सच्चाभारतीय नागरिक:सच्चा जैन ही सच्चा नागरिक और सच्चा नागरिक ही सच्चा जैन हो सकता है | हमारी शिक्षा सस्थाए व सस्थान अच्छा नागरिक बनाने में तत्पर हो । इस प्रकार हमें अजैन भाइयो से पूरा सहयोग मिल सकता है ।
(V11 ) जैन बालकों में सर्वतोमुखी विकास -
आज का विद्यार्थी कल का जनक है । स्थानीय सँस्थाए तथा उनके मुख्य लोग यदि इस बात में दिलचस्पी ले और बच्चो का ठीक मार्ग दर्शन करे तो इन्ही में से ऊँचे दर्जे के सेनानायक, डॉक्टर, इंजीनियर, ग्रध्यापक, वकील, कलाकार, साहित्यकार, अर्थशास्त्री, व्यवसायी, राजनीतिज्ञ तथा बहुभाषा-भाषी विद्वान् निकल सकते है ।
(viii) स्वाध्याय प्रणाली:
छोटी बड़ी उम्र के सभी श्रावको में स्वाध्याय प्रणाली चालू