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बार एक स्वयसेवक सस्था 'इद्रप्रस्थ सेवक मडली' के नाम से स्थापित की। उपर्युक्त समस्त समाज-सेवी संस्थाओं के पाप मुख्य सचिव के रूप में कार्य करते रहे।
देश-सेवा आपके जीवन का व्रत है। सन् 1920 से ही आपने देश सेवा कार्यो मे दिल खोलकर भाग लेना प्रारम्भ कर दिया और 1932 के आन्दोलन में विशेष भाग लिया और जेल यात्रा की। सन् 1942 के भारत छोडो स्वतन्त्रता आदोलन में आप कूद पड़े । परिणामस्वरूप सन् 1973 मे स्वतत्रता सेनानी के रूप मे भारत सरकार ने आपको 'ताम्र पत्र' भेट किया।
काग्रेस सगठन कार्यो में आपकी योग्यता निखर कर जनता के सामने आई। वर्षो तक आप दरीबा काग्रेस कमेटी के प्रधान रहे और दिल्ली जिला काग्रेस कमेटी के भी प्रधान रहे । अनेको बार आप दिल्ली प्रदेश काग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य चुने गये । दिल्ली प्रदेश पोलिटिकल काग्रेस दल की स्वागत समिति के पाप अध्यक्ष थे । आप की कर्तव्यनिष्ठा, सूझबूझ और संगठन प्रतिभा से प्रेरित होकर काग्रेस दल ने दिल्ली असेम्बली, नगर पालिका तथा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चुनावों का बहुत बडा बोझा आपके कधो पर डाला और आपने बडी योग्यता और सफलता पूर्वक इस गुरुतर कार्य को निभाया।
फलत: आपकी सर्वप्रियता काग्रेस क्षेत्रो में इस दर्जा बढी कि आप सन् 1931-34, 1937-39, 1945-51 मे दिल्ली नगर पालिका तथा उसकी कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित होते रहे और 1948-49 मे इसके वाईस प्रेजीडेट भी चुने गये। कई बार आपको नगरपालिका की शिक्षा उपसमिति का प्रधान भी चुना गया। इस पद पर आतीन होकर आपने दिल्ली में प्रथम बार शारीरिक तथा सामाजिक शिक्षा प्रारम्भ की। जब सन् 1947 में दिल्ली में साम्प्रदायिक दगे हुए