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कि जैनो का प्रतीत भारतीय संस्कृति के लिये कितना गौरवमय है और भगवान् महावीर का सदेश संसार के प्रत्येक प्राणी के लिये तीनों समयो मे कितना वास्तविक, सुखमय और शान्तिपूर्ण है।
इस पुस्तक का भली प्रकार सिहावलोकन राजकीय पुरस्कार विजेता पं० हीरा लाल जी शास्त्री, पं० सुमेर चन्द जी जैन शास्त्री, श्री धनदेव कुमार जी प्रभाकर और मेरी सुपुत्री श्रीमती डा० अमरा जैन, एम० ए०पी०एच०डी० ने किया है। मै इन सब महानुभावों का आभारी हू । डा० श्री मुनीद्र कुमार जैन एम०ए०एलएल०बी० जे०डी० के सुझावो के लिये मै हृदय से कृतज्ञ हु।
खेद है कि यह पुस्तक एक वर्ष से अधिक प्रेस में रही और समय पर न छप सकी। फिर भी इसकी उपयोगिता सर्व सिद्ध है, ऐसा मेरा विश्वास है।
पाठको से निवेदन है कि इस पुस्तक को पढ़ने के पश्चात् अपनी अमूल्य सम्मति निम्न पते पर भेजे :
भवदीय 18-ई, सदर थाना रोड, दिल्ली-110006. शादी लाल जैन अगस्त,1977
प्रिंसिपल