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नामक स्थान है, जहाँ एक कुण्डलाकार पहाड़ी पर 25-30 जैन मदिर बने हुए है। पहाडी के बीच एक घाटी में बना हुआ महावीर का मंदिर अपनी विशालता, प्राचीनता, व मान्यता के लिये विशेष प्रसिद्ध है । यहाँ बडे बाबा महावीर की विशाल मूर्ति होने के कारण यह 'बडे बाबा का मदिर' कहलाता है।
मध्यप्रदेश के जिला नगर खरगोल से पश्चिम की ओर 'ऊन' नामक एक ग्राम में तीन चार प्राचीन जैन मदिर है। कुछ प्रतिमाओं पर लेख है जिनमे सम्वत 1258 व उसके पास पास का उल्लेख है।
राजपूताने के जैन मन्दिर 11. बडली:
अजमेर के बडली ग्राम से एक स्तम्म खण्ड मिला है जिसे वहाँ के भैरोजी के मदिर का पुजारी तमाखू कूटने के काम में लाया करता था 'यह षट् कोण स्तम्भ का खण्ड रहा है जिसके तीन पहलू एक इस पाषण-खण्ड में सुरक्षित हैं और उन पर 13"x10/" स्थान में एक लेख खुदा हुआ है। इसकी तिथि विद्वानो के मतानुसार प्रशोक की लिपियो से पूर्व कालीन है। भाषा प्राकृत है और उपलब्ध लेख खण्ड पर से इतना स्पष्ट पढा जाता है कि वीर भगवान के लिये 84वे वर्ष में मध्यमिका नगरी में कुछ निर्माण कराया गया' ।
12. प्रोसिया:
जोधपुर से पश्चिमोत्तर दिशा में 50 किलोमीटर की दूरी पर ओसिया रेलवे स्टेशन के समीप ही प्रोसिया नामक ग्राम के बाहरी भाग मे अनेक प्राचीन जैन मदिर हैं, जिनमे 'महावीर मंदिर' अब भी तीर्थक्षेत्र माना जाता है । इसकी शिखर प्रादि रचना 'नागर शैली' की है। यहाँ शिलालेख में दर्ज है: