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अध्याय
___ जैन कला और पुरातत्व 15(ख)
जैन मन्दिरजैन वास्तु कला ने मन्दिरो के निर्माण में ही अपना चरम उत्कर्ष प्राप्त किया। इन मन्दिरों के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण ग्यारहवी शती ई० व उसके पश्चात् काल के उपलब्ध है ।
1 लोहानीपुर:
प्राचीनतम जैन मन्दिर के चिन्ह बिहार में, पटना के समीप लोहानीपुर मे, पाये गये हैं, जहां कुमराहर और बुलदीवाग की मौर्यकालीन कला-कृतियो की परम्परा के प्रमाण मिले हैं । यहा एक जैन मन्दिर की नीव मिली है। यह मन्दिर 8-10 फुट वर्गाकार था। यहां की ई टे मौर्यकालीन सिद्ध हुई है। यहाँ से एक भौर्यकालीन रजत सिक्का तथा दो मस्तकहीन जिनमूर्तियां मिली है, जो अब पटना सग्रहालय में सुरक्षित है।
2 ऐहोल:
वर्तमान में सबसे प्राचीन जैन मन्दिर जिसकी रूपरेखा सुरक्षित है व निर्माण काल भी निश्चित है, वह है दक्षिण भारत में बादामी के समीप 'ऐहोल का मेघुटी' नामक जैन मन्दिर जो कि वहां से उपलब्ध शिलालेखानुसार शक संवत् 556 (ई 634) में पश्चिमी चालुक्य नरेश पुलकेशी द्वितीय के राज्यकाल में 'रविकीति' द्वारा बनाया गया था । यही रविकीर्ति मन्दिर-योजना मे ही नही वरन् काव्य-योजना मे भी अति प्रवीण और प्रतिभाशाली थे । यह मन्दिर अपने पूर्ण