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प्रतिष्ठा की इत्यादि का वर्णन है । तीर्थ में घटित होने वाली घटनाओं तथा समारोहों का तिथि क्रमानुसार वर्णन इसमें है । संस्कृत-प्राकृत मिश्रित गद्य-पद्य में यह प्रथ लिखा गया है।
(vii) यशोविजय
श्वेताम्बर जैन परम्परा में हेमचद्राचार्य के पश्चात् यशोविजय जैसा सर्वशास्त्र पारंगत दूसरा विद्वान नही हुमा । इन्होने काशी में विद्याध्ययन किया था और नव्वन्याय के न केवल यह विद्वान ही थे किन्तु उसी शैली में सस्कृत मे उन्होने कई ग्रंथ भी रचे ।।
1 अनेकात व्यवस्था 2 ज्ञान बिन्दू 3 जैन तर्क भाषा 4 नय प्रदीप 5 नयोपदेश 6 नय रहस्य 7 न्याय खण्ड खाद्य 8 न्यायालोक 9 भाषा रहस्य 10 प्रमाण रहस्य 11 अध्यात्म मत परीक्षा 12 अध्यात्म सार 13 अध्यात्मोपनिषद् 14 आध्यात्मिकमत खण्डन 15 उपदेश रहस्य 16 ज्ञान सार 17 देव धर्म परीक्षा 18 गुरु तत्व निर्णय निम्नलिखित ग्रथो पर इन्होने अमुल्य भाष्य लिखे हैं। 1 अष्ट सहस्री 2 शास्त्र वार्ता समुच्चय 3 स्याद्वाद मंजरी 4 योगविशिका 5 योग सूत्र 6 कर्म प्रकृति 7 काव्य प्रकाश
गुजराती भाषा मे भी इन्होने प्रामाणिक ग्रंथ लिखे हैं। इनकी विचारसरणि बहुत ही परिष्कृत और संतुलित थी।
विशेष
अनेक प्राचीन जैन प्रथो का अनुवाद हिंदी, गुजराती, ढ ढारी, अंग्रेजी जर्मन में हो चुका है ।
राष्ट्र भाषा हिन्दी के प्रोत्साहन में जैनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हिन्दी में जैन विद्वानों की ओर से मौलिक ग्रंथ भी लिखे गये हैं।