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राजनैतिक अस्थिरता तथा लम्बे दुर्भिक्षो के कारण श्रुत ज्ञान क्षी होता गया । विकीर्ण महावीर वाणी को एकत्रित करने के लिए निम्नलिखित 'तीन वाचनाएँ' की गई जिनमें विद्वान मुनि सम्मिलित हुए और जो जिसको स्मरण या कण्ठ था, पेश किया ।
·
1. पाटलीपुत्र में वीर निर्वाण से 160 वर्ष पश्चात्
2 (क) मथुरा में स्कन्दिल की अध्यक्षता मे वीर निर्वाण से 825 वर्ष पश्चात,
(ख) वल्लभी में नागार्ज ुन सूरी की अध्यक्षता में
3. वल्लभी मे देवद्धिगरणी क्षमाश्रमण की अध्यक्षता मे वीरनिर्वाण के 980/983 वर्ष पश्चात,
श्राचार्य देवद्धिगरणी ने प्रत्यन्त परिश्रम से प्राकृत में जो कुछ सकलन किया वह 'शास्त्र' रूप मे निम्न नामो से प्रसिद्ध हुआ. -
क्रमांक नाम शास्त्र
शास्त्र सख्या
1 अग
2
उपाग
3
मूल सूत्र
4 छेद सूत्र
12 (अंतिम 12वां अग
12 विच्छेद हो चुका है )
4
6
5 चूलिका सूत्र
2
6 प्रकीर्णक
12
आगमो का वर्तमान सस्करण 'देवद्विगणी' का है । अगो के कर्त्ता गणधर है । अग बाह्य श्रत के कर्त्ता स्थविर है । उन सबका संकलन और सम्पादन करने वाले देवद्धि गरणी है, अतः वह आगम के वर्तमान रूप के कर्त्ता भी माने जाते है ।
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