________________
( ३३ ) बारणा पूरब उत्तर दक्षिण दिशा ए ॥ १५ ॥ बच रत्न में नौंव ऊंडी लूलसं रिष्ट रत्न मांहिं जड़ीए ॥ १६ ॥ बिंटली रत्न जड़ी सांध रूप सोवन तणां पावड़िया नां पाटिया ए .॥ १७ ॥ बच रत्न जड़ी सांध पावड़ियां तणो माहोमांहिं खिसे नहीं है ॥ १८ ॥ मोटो तोरण्य 'एक देव वेगशे पावड़िया में पागले ए ॥ १६ ॥ रूप विविध प्रकार तोरणा उपरै अचरिजकारी अति घणाए ॥ २० ॥ सुरज किरण सम तेज तोरण दोपतो देखता लोयण ठरै ए ॥ २१ ॥ आठ पाठ मंगलिक तोरण ऊपरे शोभमान ज्ञानी कह्या ए ॥ २२ ॥
२
-
on
॥दोहा॥ अभियोगी देवता, जाण बिमागरे मांय । पोष्या मंडप घर कह्या, अनेक थंभ लगाय ॥१॥ शोभे तोरण पूतला, विविध भारी रूप । पेष्या मंडप घर तणे, अति विस्तार अनूप ॥२॥ खसबोई छै अति घणी, बाजारो विस्तार। राग ,छतीस चालापता, मामै सुख अपार ॥३॥