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वीर समय उत्कृष्ट स्थिति, वर्ष सवासय होय । भाग तीन को तमु, ए तीनं वय जोय ॥ ८॥
म सगले उत्कृष्ट स्थिति, विण भागे वय तीन । अन्तिम वय उगगोस जिन, धुर वय पंच सुचौन ॥६॥ श्वेत वरण चंद सुविधि जिन, पदम वासुपूज्य लाल । मुनि सुव्रत रिठनेम प्रभु, कृष्ण वरण सुविशाल ॥ १० ॥ मल्लिनाथ फुन पापूर्व प्रभु, नौल वरण वर अङ्ग । षोड़स शेष निमेश तनु, सोवन बरण सुचंग ॥ ११ ॥ श्रेयांस मलि मुनि सुव्रत जिन, नेम पार्श्व जगदीश । प्रथम पहर दीक्षा ग्रही, पिछले पोहर उन्नीस ॥ १२ ॥ सुमति जीम दौना ग्रहौ, अठम भक्त मल्लि मास । छठ भक्त जिन वीस वर, वासुपूज्य उपवास ॥ १३ ॥ ऋषभ अष्टापद शिव गमन, बौर मावापुरी दोस । मेम गिरनारे वासु चंपा, शिखर समेत सुबौस ॥ १४ ॥ ऋषभ संघारे शिव गमन, चउदश भक्त उदार । चरम छठ अणसण पवर, बावीस मास संधार ॥ १५ ॥ ऋषभ बौर अक नेम जिन, पल्यङ असल शिव पेठ । शेष इकवीस जिनेश्वरु, काउसग मुद्रा देख ॥ १६ ॥ बिन चौबीस तथा सुगुण, रचिये वचन रसाल । ध्यान सुधा वर सार रस, जय जश कर विशाल ॥ १०॥