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जैनबालगुटका ।
: प्रथम-भाग । अथ णमोकार मन्त्र:::
णमोअरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं ।
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नोट- जिन माइयों ने जैन ग्रंथ देखे हैं अथवा नवकार माहात्म्य पाठ पढ़ा है वह जानते हैं कि नवकार मंत्र से कितने जीवों को किस २ प्रकार सिद्धि हुई हैं सो वह 'नवकार मंत्र ४६ प्रकार के हैं सों उन का कुल खुलासा हाल और उनमें से महाशक्ति धान् २५ नवकार के जैन मंत्र, और इस नवकार मंत्र के अक्षर मक्षर और शब्द शब्द का ..खुलासेवार अलग अलग एक बहुत बड़ा 'अर्थ जैन वालगुटके दूसरे भाग में छपा ह जो हमारे यहां से 11) में मिलता है ।
अथ पंचपरमेष्ठियों के नाम
अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, सर्व साधु । ॐ अ सि आ उ. सा नमः ।
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नोट- असिआ उसी नाम पंच परमेष्ठी का है इस में अ, अरहन्त का 'सि, सिद्ध की भा आचार्य का उ, उपाध्याय का । सा, साधु का है, और जो बाजा अक्षर हैं इस में पंचपरमेष्ठी के नाम गर्मित हैं ।
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अथ ६३ - शलाका पुरुषों के नाम ।
- २४ तीर्थंकर १२ चक्रवर्ती ९ नारायण ९ प्रति नारायण
९ बलभद्र यह मिलकर ६३ शलाका के पुरुष कहलाते हैं ।