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जैन बालगुटका प्रथम भाग |
अथ २४ - तीर्थंकरों के नाम ।
१ ऋषभदेव, २ अजितनाथ, ३ सम्भवनाथ, ४ अभिनन्दननाथ, ५ सुमतिनाथ, ६ पद्मप्रभ, ७ सुपार्श्वनाथ, ८ चन्द्रप्रभ, ९ पुष्प दन्त, १० शीतलनाथ, १९ श्रेयांसनाथ, १२ वासुपूज्य, १३ विमलनाथ, १४ अनन्तनाथ, १५ धर्मनाथ, १६ शान्तिनाथ, १७ कुन्थुनाथ, १८ अरनाथ, १९ मल्लिनाथ २० मुनिसुव्रतनाथ, २१ नमिनाथ, २२ नेमिनाथ, २३ पार्श्वनाथ, २४ वर्द्धमान ।
नोट - ऋषभदेव को ऋषभनाथ वृषभनाथ और आदिनाथ भी कहते हैं, पुष्पदन्त को सुविधिनाथ भी कहते हैं । वर्द्धमान को वीर, महावीर, अतिधीर, और सन्मत भी कहते हैं।
समझावट - बहुत से पुरुष तीर्थकरों के नाम के साथ श्री या जी हरफ जोड़कर वोलते हैं जैसे ऋषभदेव को श्रीऋषभदेवजी कहना सो बोलने में तो कुछ दोप नहीं, बलकि इस से उन के नाम का ताज़ीम पाई जाती है परन्तु जाप्य करने में श्री या जी हरगिज़ नहीं जोड़ने क्योंकि तीर्थकरों के नाम एक जातिके मंत्र हैं मंत्रों का हरफ कम या जियादा करके जपना योग्य नहीं, दूसरे जी हरफ हिंदी भाषा है सो भाषा तो है सो यदि इसी प्रकार हर एक जवानवाले इनके नाम के साथ अपनी भाषाके हरफ जोड़ने लग जायें तो हर एक भाषा में इनके नाम अन्य अन्य प्रकार के होजावें सो जैसा करना दूषित है इसलिये श्री और जो हरफ मंत्र जपने में हरगिज़ नहीं जोड़ने ।
१२ चक्रवर्त्ती ।
१ भरतचक्रवर्ती, २ सगरचक्रवर्ती, ३ मघवाचक्रवर्ती, ४ सनत्कुमार चक्रवर्ती, ५ शांतिनाथचक्रवर्ती, (तीर्थङ्कर) ६ कुन्थु नाथचक्रवर्ती (तीर्थङ्कर), ७ अरनाथ चक्रवर्ती (तीर्थङ्कर ), ८ सुभूम चक्रवर्ती, ९ पद्मचक्रवर्ती (महापद्म) १०हरिषेण, चक्रवर्ती, ११ जयसेन चक्रवर्ती, १२ ब्रह्मदत्तचक्रवर्ती ॥