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________________ भूमिका यह जैन बाल गुटका जैनपाठशालाभों में बच्चों को पढ़ाने के , लये बनाया है इसमें १३ श्लामा पुरुषो १८ पुण्य पुरुषो २४ तीर्थ : परों के २४ चिन्हों के २४ चिम भगवान की माता जो १६ स्वप्न गर्भ पाणक के समय देरे उन स्वप्नों के चित्र पंच परमेष्ठी के इप छत्तीसी सहित १४० मल गुण वार पदार्थ का मासा मधं सम्यक्त का वर्णन कर्म की १४८ कर्म प्रकृति ४ लाख योनियों का खुलासा आदि अनेक जैन मत के कथन जो जो बच्चों को सिखाने अरी मंजिनने मन्थो को बाध्याय हम ने मपनी साठ वर्ष की आयमें करी उन सबको साररिस] इस पुस्तक में कर काट कर भरा है यह पुस्तक हर एक जैन पाचशाला म हमारे यहां से मंगाकर बच्चों को पानी चाहिये और हर जैनो भाई को इसकी स्वानाय करना चाहिये ऐसी उपकारी इतनी बड़ी पुस्तक का दाम ताहिर जैनी खरीद सफ, केवल रखा है ।। पुस्तपा मिलले का पता वा शानचन्द्र जैनी, लाहौर, विज्ञापन। इस, पुस्तक का नाम जैन बाल गुटका और यह, पुस्तक दोनों हमने रजिस्टरी करालिये हैं कोई महाशय भी अपनी पुस्तक का नाम जैनवाल गुटका न रक्वे और न यह पुस्तक या हमारे रचे हुए इस के मजमून छापे जो छापेगा उसे लाहौरकी कचहरीका सैर करनी पड़ेगी। पुस्तक रचिता-बाधु ज्ञानचन्द्र जैनी लाहौर
SR No.010200
Book TitleJain Bal Gutka Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Jaini
PublisherGyanchand Jaini
Publication Year1911
Total Pages107
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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