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हिन्दी के नाटककार
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से सुन्दर अनुवाद भी किये । उनके अनुवाद बहुत ही सफल हैं और मौलिक नाटकों का सा श्रानन्द उनमें आता है । उनकी रचनाओं को मौलिक और अनुवाद की श्रेणी में इस प्रकार बाँटा जाता है
मौलिक - वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति विषस्य विषमौषधम् अन्धेर नगरी (ये तीनों व्यंग्य प्रधान); भारत-दुर्दशा, नीलदेवी, प्रेम-जोगिनी, चन्द्राव और सती प्रताप (अपूर्ण)
अनूदित - विद्यासुन्दर, सत्य • हरिश्चन्द्र, भारत - जननी ( तीनों बँगला से ); पाखंड - विडंबन, धनंजय-विजय, मुद्राराक्षस, रत्नावली ( चारों संस्कृत से ); कर्पूर मंजरी ( प्राकृत से ) तथा दुर्लभ बन्धु ( अंग्रेजी में ) । सत्य हरिश्चन्द्र, विद्या सुन्दर, भारत - जननी — इन तीनों नाटकों के विषय में मतभेद है । श्राचार्य रामचन्द्र शुक्ल इनको अनूदित मानते हैं और बाबू व्रजरत्नदास मौलिक | पर हम इनकी भी समीक्षा करेंगे।
रचनाओं का काल - क्रम
१ विद्यासुन्दर
२ -- रत्नावली
३ - प्रवास नाटक
४ - पाखंड विडंबन
५ - वैदिको हिंसा, हिंसा न भवति
६ - धनंजय विजय
७- मुद्राराक्षस
5- सत्य हरिश्चन्द्र - प्रेमयोगिनी
१० – विषस्य विषमौषधम्
११ - कपूर मंजरी
१२ – चन्द्रावली
१३ – भारत दुर्दशा १४ - भारत - जननी
१५ - नीलदेवी
१६ – दुर्लभ बन्धु १७ - अंधेर नगरी
१८ -नाटक
१६ - सती प्रताप
संवत १६२५ वि०
१६२५ "1 १६२१ "
१६२६
१६३०
१६३० 13
१६३१.३२ 57
33
33
१६३२
१६३२ "
१६३३
१६३३
१६३३ ११
१६३३
१६३४ 33
१६३७ 22
१६३७ "
१६३८
१६४०
१६४१ "
13
13
13
39
33