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आलोक
का ध्यान ही न गया | संस्कृत, बँगला, अंग्रेजी सभी भाषाओं से अनुवाद का ढेर लगा दिया गया । बँगला से रवीन्द्रनाथ और द्विजेन्द्रलाल राय, अंग्रेजी से शेक्सपियर, संस्कृत से भवभूति श्रादि की रचनाओं के अनुवादों की होड़ सी लग गई। रूपनारायण पाण्डेय, लाला सीताराम, सत्यनारायण कविरत्न श्रादि ने अनुवाद के क्षेत्र में बड़ा काम किया। इस काल में जो मौलिक नाटक लिखे गए, वे किसी रूप में भी नई बात पैदा नहीं कर सके, केवल भाषा अधिक मँजी हुई होने लगी और ब्रजभाषा पद्यों से भी प्रस्थान कर गई । 'दुर्गावतो', 'चन्द्रगुप्त', 'कृष्णार्जुन युद्ध', 'चन्द्रहास' – सभी नाटक हरिश्चद्र युग के नाटकों के समान हैं। इस युग में श्रागा हश्र, नारायणप्रसाद बेताब, राधेश्याम कथावाचक, हरिकृष्ण जौहर आदि ने रंगमंच के लिए हिन्दी नाटक प्रस्तुत किये । श्रस्वाभाविकता और कलाहीनता इनमें खटेकने वाले मुख्य दोष हैं ।
कान्तिका या सन्धि-काल के बाद प्रसाद-युग श्राता है । प्रसाद-युग हिन्दी नाटकों के इतिहास में उत्थान या स्वर्ण युग है । इसी युग में 'प्रसाद' ने भारती के मंदिर में नाटकों की दिव्य भेंट चढ़ाई। नाटक को स्वस्थ, साहित्यिक, कलापूर्ण, स्वाभाविक मौलिक और स्वाधीन रूप देने का सर्वप्रथम श्रेय प्रसाद की प्रतिभा को ही है । प्रसाद युग में हिन्दी-नाटक-कला, शैली, टेकनीक आदि की दृष्टि से पूर्ण विकास को पहुँचा । नाटक धर्म के आतंक से स्वाधीन हुआ । यद्यपि पौराणिक नाटक भी लिखे जाते रहे; पर धार्मिक और पौराणिक कथानकों का स्थान ऐतिहासिक, सामाजिक या राष्ट्रीय कथानकों ने लिया । प्रसाद के 'अजातशत्रु', 'स्कन्दगुप्त', 'चन्द्रगुप्त मौर्य', 'ध्र वस्वामिनी' इसी युग में प्रकाशित हुए । 'दुर्गावती' ( बदरीनाथ भट्ट), 'प्रताप प्रतिज्ञा' (मिलिन्द), 'महात्मा ईसा' (उम्र), 'विक्रमादिव्य' (उदयशंकर भट्ट), तथा 'हर्ष' (गोविन्ददास) श्रादि अनेक ऐतिहासिक नाक इसी युग में लिखे गए ।
इस युग में हिन्दी नाटक संस्कृत के प्रभाव से पूर्णतः मुक्त हो गया । 'जन्मेजय का नागयज्ञ' और 'अजातशत्र' पर अवश्य कुछ हल्का-सा प्रभाव है । इनमें पद्यात्मक संवाद भी है और मंगलाचरण तथा भरतवाक्य जैसे स्तुति और श्राशीर्वचन भी । इनके पश्चात् लिखे गए नाटक शुद्ध मौलिक रूप उपस्थित करते हैं । अंक तथा दृश्यों का विभाजन सीधा-सादा अंग्रेजी ढंग का है। भारतीय और पाश्चात्य पद्धति का स्वाभाविक सहज सामंजस्य भी इस युग के नाटकों में हुआ । स्वगत कम होते-होते विलीन हो गया ।