________________
सेठ गोविन्ददास
२११ केवल बाँके बिहारी के चले जाने पर सुखदा में तीव्रता आती है। चौथे अङ्क के अन्त में भी केवल सुखदा ही प्राणवान मालूम होती है। ‘महत्त्व किसे' में तो नाटकीयता, कौतूहल, कार्य-व्यापार नाम की कोई वस्तु है नहीं । बस कर्मचंद और सत्यभामा बैठे-बैठे बातचीत करते रहते हैं। बड़ा पापी कौन' में भी केवल देवनारायण की मृत्यु की घटना के सिवा कोरी बातचीत में पूरा नाटक समाप्त है।
श्राकस्मिकता, रहस्य-ग्रन्थि, अनाशितता भी नाट्य-कला के प्रमुख तत्व हैं । इनकी सेठ गोविन्ददास के नाटकों में कमी है। 'कुलीनता' में यदुराय को पुरस्कार के स्थान के देश-निकाला, 'दुःख क्यों' में सुखदा द्वारा भण्डाफोड़ 'कर्ण' में कर्ण का कुन्ती से उत्पन्न-अाकस्मिकता और रहस्य-प्रन्थि समझना चाहिए। कर्ण का कुन्ती से उत्पन्न होना भारतीयों के लिए कोई भी आकस्मिकता या रहस्य नहीं, सब इसे जानते हैं। 'महत्त्व किसे', 'शशिगुप्त' और
और 'बड़ा पापी कौन' में नाम को भी यह नहीं है। नाटकों के इस अभाव को निर्बलता ही समझा जायगा। कुछ पात्रों की बात-चीत के बीच सहसा अन्य पात्रों का प्रवेश भी आकस्मिकता में श्राता है । 'प्रेमी' और 'प्रसाद' के नाटकों में यह प्रायः मिल जाता है। इसमें सामाजिकों को विस्मयानन्द की अनुभूति होती है। भारतीय फिल्मों में भी ऐसे अनेक उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। दर्शकों को रोमाञ्चित करने के लिए यह एक विशेष तत्त्व है, जिसकी कमी गोविन्ददास जी के नाटकों में खटकती है। ___ साधारणतः संवाद छोटे ही होते हैं, पर यह लेखक की कला का अङ्ग नहीं। छोटे और संक्षिप्त संवादों के साथ दो ढाई पृष्ठ तक के संवादों से भी इनके नाटक भरे पड़े हैं। 'कुलीनता' में यदुराय, विजयसिंह, सुरमी पाठक, चण्डपीड आदि के संवाद एक से दो पृष्ठों तक की लम्बाई के हैं। 'कर्ण' में कर्ण और कुन्ती के स्वगत के संवाद अरुचिकर रूप में बड़े हैं-दो-दो पृष्ठ तक के । इन दो नाटकों को छोड़कर संवादों की संक्षिप्तता की दृष्टि से सभी नाटक ठीक हैं। 'दुःख क्यों' में गरीबदास के एक उपदेश को छोड़कर सभी संवाद संक्षिप्त, चुस्त, गतिशील और सशक्त हैं। संवादों दृष्टि से यह नाटक सर्व श्रेष्ठ है । भाषा की दृष्टि से लेखक के नाटकों में खटकने वाली बात है, चलती नाटकीय प्रचलित भाषा न लिखकर लिखी जाने वाली भाषा की ओर झुकाव होना । उदाहरण___ "रेवा सुन्दरी-( गद्-गद् स्वर से ) मैं अपने हृदय को चीरकर आपके सम्मुख किस प्रकार रखू?" (कुलोनता' ) । इस एक वाक्य के स्थान में