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हिन्दी के नाटककार दाहर के दो पृष्ठ के स्वगत से प्रारम्भ होता है। दूसरे अंक का प्रथम दृश्य प्रारम्भ होता है हैजाज के एक पृष्ठ के स्वगत से, और चौथे अंक के दूसरे दृश्य में युवराज भी दो पृष्ठ का स्वगत झाड़कर अपने अधिकार का उपयोग कर लेता है। पर इतनी बात अवश्य है कि 'दाहर' में 'विक्रमादित्य' के जैसे पात्र के सम्मुख विरोधी स्वगत नहीं हैं, इसमें यह प्रवृत्ति कम हो गई है। 'सगर-विजय' में भी स्वगत का मोह बना हुआ है। अनेक दृश्य स्वगत से ही प्रारम्भ होते हैं और भट्टजी के सभी पात्र स्वगत का इतना स्वागत करते हैं कि प्रायः सभी नाटकों में स्वगत हो चुकने के बाद ही प्रवेश करते हैं। पहले अंक का पहला, दूसरा; चौथा; दूसरे अंक का पाँचवाँ, तीसरे अंक का पहला; चौथे अंक का दूसरा; तीसरा और चौथा दृश्य स्वगत से ही श्रारम्भ हो जाता है। और ढाई-तीन पृष्ठ तक के स्वगत भी इनमें हैं। 'सगर-विजय' सन् १९३७ में प्रकाशित हुआ, तब तक हिन्दी में अनेक श्रेष्ठ नाटक निकल चुके थे, फिर भी लेखक इस अस्वाभाविक प्रवृत्ति को न छोड़ सका। ____ 'कमला' में यह प्रवृत्ति कम हो गई है। इस छोटे-से नाटक में ४-५ स्वगत होंगे। स्वगत के द्वारा एक पात्र अन्य के चरित्र पर प्रकाश भी डालता है। पर यह चरित्र-चित्रण का ढंग नीचे दर्जे का होता है। कमला प्रतिमा के
और देवनारायण कमला के चरित्र का उद्घाटन स्वगत के द्वारा ही करते है । 'मुक्ति-पथ' और 'शक-विजय' इस रोग से बिलकुल मुक्त हो गए हैं। एक-दो स्वगत आये भी हैं तो वे स्वाभाविक और भावावेग के द्योतक हैं। ___ भट्टजी के नाटकों में गानों और पद्यों की भी अमचिकर भरमार है। 'विक्रमादित्य' में दस गाने हैं। सोमेश्वर, विक्रमादित्य, चन्द्रलेखा, चन्द्रकेतुसभी को गाने का रोग है। ये समय-कुसमय गलेबाजी करने लगते हैं। कुछ गाने तो केवल पद्य हैं। 'दाहर' में गाने और पद्यात्मकता का रोग और भी बढ़ा-चाहिए था, इस नाटक में यह कम होता और बढ़ा भी अधिक भद्दापन लेकर। इसमें तेरह पद्य और गीत हैं। दाहर, परमाल, समुद्र, मधुश्रा, देवकी, सूर्यदेवी, ज्ञानबुद्ध, जयशाह-सभी गाते और पद्यों में बोलते हैं। 'सगर-विजय' में यह प्रवृत्ति कम हो गई है-केवल चार गीत रह गए हैं। 'कमला' गीतों से मुक्त है। केवल एक गोत अन्त में दिया गया है। वह वातावरण की दृष्टि से बहुत अच्छा है। 'मुक्ति-पथ' में सात गाने हैं। सात गाने अधिक नहीं कहे जा सकते । 'शक-विजय' में यह प्रवृत्ति बिलकुल कम हो गई है केवल दो गीत हैं। 'कमला' और 'शक-विजय' इस दिशा में