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उदयशंकर भट्ट
१७५ प्रधान मंत्री बन गया। राय साहसी के मरने के बाद चच राजा बन गया। इसका प्रेम भी राय साहसी की पत्नी सुहन्दी से हो गया और दोनों ने विवाह भी कर लिया। चच ने ब्राह्मणवाद के शासक अगम को मारकर उसकी विधवा से भी विवाह किया। चच के बाद इसका लड़का दाहर राजा बना । दाहर ६४४ ईस्वी में गद्दी पर बैठा । चच की मृत्यु ६३७ में हुई। बीच के समय में दाहर के भाई चन्द्र ने राज्य किया । सिन्ध पर मुहम्मद बिन कासिम का अाक्रमण सन् ७१२ ई० में हुअा। इसमें दाहर मारा गया। ___ दाहर की दोनों लड़कियां सूरजदेवी और परमालदेवी कासिम द्वारा खलीफा के पास भेज दी गई । 'चचनामा' में यह भी लिखा है कि लाड़ी (दाहर की रानो) भी कैद करके भेजी गई थी। बिनकासिम को खलीफा की आज्ञा से जिन्दा ही खाल में सिलवा दिया गया था और सूर्यदेवी तथा परमालदेवी के कहने पर कि उन्हें कासिम ने भ्रष्ट कर दिया है । 'दाहर' को प्रायः सभी प्रमुख घटनाए इतिहास की जानकारी में हैं। 'दाहर' में इतिहास का अधिक-से-अधिक निर्वाह हुआ है। इसमें इतिहास की दो भयंकर भूले हैं, एक तो दाहर को क्षत्रिय बताया गया है जब कि सभी इतिहासों में उसे ब्राह्मण बताया गया है। दूसरे नाटक में कहीं भी लाड़ी का पता नहीं । लाड़ी ने एक-दो किलों में अरबी सेना का सामना भी किया था, ऐसा कई इतिहासों में मिलता है । प्रमुख पात्रों में कल्पित बहुत कम हैं-दाहर, जयशाह, सूर्य और परमाल, हैजाज बिनकासिम अलाफी, खलीफा आदि सभी पात्र ऐतिहासिक हैं।
धार्मिक संघर्ष __ भट्ट जी के ऐतिहासिक नाटकों में धार्मिक संघर्ष का विशेष चित्रण मिलता है । 'मुक्ति-पथ', 'शक-विजय' तथा 'दाहर' तीनों नाटकों में भारतीय महान् धर्मों-ब्राह्मण, बौद्ध, जैन-का संघर्ष दिखाया गया है। यह संघर्ष 'मुक्ति-पथ' से प्रारम्भ होता है। भगवान् बुद्ध का राज्य त्यागकर नवीन मानव-धर्म की खोज करना ही, उस युग के विचारों के संघर्ष का परिणाम है । बौद्ध धर्म से पहले भारत में धार्मिक (सम्प्रदाय) संवर्ष या वैमनस्य का प्रारम्भ नहीं हुआ था। इससे पूर्व नवीन जीवन-दर्शन अनेक रूपों में पा चुका था-पर उस दार्शनिक विचारों के विकास को लेकर झगड़े नहीं प्रारम्भ हुए थे। वे दार्शनिक विचार सम्प्रदाय या धर्म-पंथ का रूप धारण नहीं कर सके थे। जीवन और समाज से उनका सम्बन्ध भी कम था । बौद्ध-धर्म ने सामाजिक