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गोविन्दवल्लभ पन्त उनके द्वारा उन्होंने सामाजिक समस्याओं का हल उपस्थित करने का भी प्रयास किया-भले ही उनके नाटकों में जीवन की अत्यन्त उलमन भरी, गहन और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सुलझाव न हो, जैसा लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटकों या 'प्रेमी' के 'छाया' नाटक में है। उन्होंने ऐसी सामाजिक समस्याओं को अवश्य छुआ है, जिनसे समाज में अनेक अपराध अनैतिक कर्म और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के विनाश की सृष्टि होती है। ऐसे दुर्व्यसनों की तस्वीर उन्होंने खींची है, जिनसे घर उजड़ जाते हैं, जीवन नष्ट हो जाते हैं, स्वास्थ्य का नाश हो जाता है। ___ 'अङ्ग र की बेटी' में मदिरा-पान से खण्डहर बने एक सुखी जीवन का घायल चित्र उपस्थित किया गया है । मोहनदास शराब पीने के दुर्व्यसन का शिकार हो चुका है। वह अपनी समस्त सम्पत्ति नष्ट कर देता है और अपनी पत्नी कामिनी के आभूषण भी छीन-छीन कर बेच देता है। घर में कंगाली का अातंक है, अशान्ति का राज्य, कलह का दौर-दौरा और दुख-दरिद्रता का प्रकोप रात-दिन रहता है। "और शायद उस पत्नी से अधिक दुःखिनी कोई नहीं, जिसका पति शराबी है।" शराब का अभिशाप कामिनी के कथित शब्दों में बोल रहा है और हरिहर भी एक अखबार की रिपोर्ट पढ़कर सुनाता है, “संसार में जितने पागल है, उनमें से पिछत्तर फ़ी सदी लोग शराब आदि नशीली चीजों के इस्तेमाल से हुए है।" ___ मोहनदास अपनी औरत के सिर पर बोतल मारकर उसे बे-सुध करके उसके आभूषण छीनकर चला जाता है। घर में आग लग जाती है। नशे में चूर मोहनदास की जेब से माधव आभूषण चुरा लेता है और इसी घटना को लेकर मोहनदास और माधव में पिस्तौल चल जाती है। वह पकड़ लिया जाता है। घटना-क्रम से भी लेखक ने शराब की बुराइयाँ दिखाने का प्रयत्न किया है और साथ ही मदिरा पीने की बुरी आदत छुड़ाने का ढंग भी बता दिया है । मोहनदास को बनवारी बाबा एक होटल में नौकर करा देता है। बिन्दु उसकी मैनेजर है और विनोदचन्द्र (कामिनी) उसकी मालिक । मोहनदास को प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी शराब दी जाती है और उसमें भी अनुपात के हिसाब से प्रतिदिन पानी मिलाया जाता है। इस प्रकार उससे शराब पीने की श्रादत छुड़ा दी जाती है । जो व्यक्ति इतने अबल मन के हैं कि एकदम शराब नहीं छोड़ सकते, धीरे-धीरे वे भी इस बुरी श्राफत से बच सकते हैं।
इसी नाटक में फिल्मी जीवन के ऊपर भी एक संकेतात्मक प्रकाश डाला गया है। किस प्रकार फिल्मी चकाचौंध से पथ-भ्रष्ट होकर आधुनिक महिलाए