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अनुक्रम विभाग : एक १. जैन भक्ति : प्रवृत्तियाँ 'निष्कल' और 'सकल'-१, दिव्य अनुराग-२, रहस्यवाद-४, सतगुरु-६, ब्रह्मकी प्रेरणा-७, पंचकल्याणक स्तुतियां-९, दास्यभाव-१०, आराध्यकी महत्ता-११, कीर्तन-१४, स्मरण-१६, दर्शनकी महिमा-१७, भक्तिसे अंगोंको सार्थकता-२०, भक्तिके लिए मनको चेतावनी-२२, बावनी और शतक आदिमें जैन भक्ति-२४, रूपकोंमें भक्ति-२६, जैन भक्तिके विशाल स्तम्भ : प्रबन्ध काव्य-२८, जैन भक्तिकी शान्ति
परकता-२९। २. जैन भक्त कवि : जीवन और साहित्य ३२-३६४
१. राजशेखरसूरि-३२, २. सधारु-३४, ३. विनयप्रभ उपाध्याय-३७, ४. मेरुनन्दन उपाध्याय-४२, ५. विद्धणू-४७, ६. सोमसुन्दर सूरि-५०, ७. उपाध्याय जयसागर-५२, ८. हीरानन्द सूरि-५४, ९. भट्टारक सकलकीत्ति-५६, १०. श्री पद्मतिलक-५८, ११. ब्रह्म जिनदास-५९, १२. मुनि चरित्रसेन-६४, १३. लावण्यसमय-६५, १४. संवेगसुन्दर उपाध्याय-६८, १५. ईश्वरसूरि-६९, १६. चतरुमल-७१, १७. भट्टारक ज्ञानभूषण-७३, १८. भट्टारक शुभचन्द्र-७७, १९. विनयचन्द्र मुनि-८०, २०. कवि ठकुरसी-८३, २१. विनयसमुद्र-८८, २२. कवि हरिचन्द९०, २३. देवकलश-९२, २४. मुनि जयलाल-९३, २५. भट्टारक जयकोत्ति-९४, २६. श्री क्षान्तिरंगगणि-९५, २७. श्री गुणसागर९६, २८. बूचराज-९७, २९. छोहल-१०१, ३०. भट्टारक रत्नकीति१०७, ३१. ब्रह्म रायमल्ल-११०, ३२. कुशललाभ-११५, ३३. साधुकोत्ति-१२१, ३४. हीरकलश-१२२, ३५. पाण्डे जिनदास-१२५, ३६. त्रिभुवनचन्द्र-१२८, ३७. कुमुदचन्द-१३०, ३८. कवि परिमल्ल१३५, ३९. वादिचन्द-१३७, ४०. गणि महानन्द-१४०, ४१. मेघराज१४२, ४२. सहजकीति-१४४, ४३. ब्रह्मगुलाल-१४६, ४४, उदयराज जती-१५०, ४५. हीरानन्द मुकीम-१५४, ४६. हेमविजय-१५६,